Hanuman Jayanti 2023: हनुमान जी की इन पावन कथाओ की दुनिया दीवानी! यहाँ देखे सबसे ज्यादा देखी जाने वाली कथाये

Hanuman Jayanti 2023: हनुमान जी की इन पावन कथाओ की दुनिया दीवानी! यहाँ देखे सबसे ज्यादा देखी जाने वाली कथाये, संकट कटे मिटे सब पीरा जो सुमिरत हनुमत बलबीरा।। आज प्रभु राम के अनन्य भक्त वीर हनुमान जी का जन्मोत्सव है ऐसे में हम आपको वीर बजरंगबली से जुड़ी कुछ पावन कथाओं पर विस्तार से बताने जा रहे है

भगवान विष्णु ने लोगों को रावण के आतंक से बचाने के लिए जब पृथ्वी पर भगवान राम के रूप में अवतार लिए उस दौरान हनुमान जी ने उनके सेवक के रूप में हर तरह से सहायता की थी। युद्ध वीर बजरंगबली से जुड़ी अनेकों कथाएं आपने सुनी होगी लेकिन आज मैं आपको मुख 3 कथाओं के बारे में विस्तार से बताऊंगी।

पहली कथा लंका दहन की
रामायण के 7 अध्याय में से एक है युद्ध कांड जिसे लंका कांड भी कहां जाता है। इसी कांड में लंका दहन की कहानी भी बताई गई है। भगवान् श्री राम के सबसे बड़े भक्त हनुमान जब माता सीता की खोज करने लंका की ओर गए। तब वहां जाते हुए हनुमान जी ने तीन राक्षसियों का वध किया, लंका पहुंच कर उन्होंने माता सीता की खोज की और वह अशोक वाटिका पहुंचे, वहां उन्होंने माता से भेट की जिसके बाद भूख लगने पर वह अशोक वाटिका में लगे पेड़ो से फल तोड़ कर खाने लगे। ऐसा करते हुए उन्होंने अशोक वाटिका को उजाड़ दिया। यह सुचना लंकापति को मिली, तो उन्होंने अपने योद्धाओं को वानर का वध करने भेजा। लेकिन सब नाकामयाब रहे।

जिसके बाद लंकापति ने कई योद्धाओं को अपने पुत्र संग वानर का वध करने भेजा लेकिन सबका वध हो गया। फिर रावण के पुत्र इन्द्रजीत ने हनुमान जी से युद्ध किया जिसमें इन्द्रजीत ने ब्रम्हास्त्र का प्रयोग किया। जिसके लगते ही हनुमान जी पेड़ के नीचे गिर गए। जिसके बाद हनुमान को नागपाश शक्ति से बांध दिया गया और सभा में ले जाया गया। वहीं रावण और हनुमान जी के बीच संवाद हुआ। हनुमान जी ने रावण को प्रभु श्री राम से क्षमा मांगने और अपनी भूल सुधरने को कहां जिसके बाद रावण को क्रोध आया और उसने अपने योध्दाओं से वानर का वध करने की आज्ञा दी। तब रावण के भाई विभीषण ने उन्हें ऐसा करने से रोका।

विभीषण की बात मान कर रावण ने हनुमान जी को दण्ड देने का निश्चय किया। वानरों को उनकी पुंछ अति प्रिय होती है इसी कारण से दण्डस्वरूप वायुपुत्र की पुंछ पर रुई और तेल लगा कर जला देने की आज्ञा दी। जब हनुमान जी की पूछ पर कपड़ा लपेटा जा रहा था तब वह अपनी पूछ बढ़ाते जा रहे थे। जिसके बाद उनकी पुंछ में आग लगा दी गई। आग लगते ही उन्होंने सारे बंधन तोड़ एक महल से दूसरे महल छलांग लगा कर विभिषण का महल छोड़ पूरी लंका जला दी। जिसके बाद समुद्र में अपने पुंछ की आग बुझा कर लौट गए और इस तरह लंका दहन की कथा समाप्त हो गई।

दूसरी कथा है संजीवनी बूटी की
हर भारतवाशी प्रभु राम संग हुए रावण के युद्ध के बारे में जानता ही है. इस लड़ाई में अंजनीसुत ने भगवान राम की राक्षसों का वध करने के साथ लक्ष्मण, विभीषण, जामवंत की सहायता की थी। प्रभु राम की तरह उनके भाई भी बहुत शक्तिशाली थे, लक्ष्मण को शेष नाग का अवतार मन जाता है। लेकिन युद्ध में एक समय ऐस आया जब मेघनाथ की शक्ति के प्रहार से लक्ष्मण मूर्छित हो गए थे। जिसके बाद हनुमान जी लक्ष्मण को राम जी के पास ले गए। जिसके बाद सुषेन वैध को बुलवाया गया और वैध ने कहा कि यदि लक्ष्मण जी के पप्राणों की रक्षा करना है, तो आज रात्रि से पूर्व द्रोणागिरी से संजीवनी बूटी लानी होगी।

उस दौरान इसकी जिम्मेदारी बजरंजीवली को मिली , तब पवनपुत्र हनुमान राम नाम का जाप करते हुए संजीवनी बूटी लेने के लिए द्रोणागिरी पहुंचे और जड़ीबूटी की पहचान ना होने के कारण पर्वत अपनी कनिष्ठा अंगुली पर उठा कर ले आये। लेकिन आज भी इस गांव के लोग इस बात से नाराज़ है जिस वजह से द्रोणागिरी में हनुमान जी की पूजन नहीं की जाती है। जब संजीवनी ले कर हनुमान जी लंका पहुंचे तो श्रीराम बहुत व्याकुल थे और हनुमान जी को देख कर निश्चिन्त हुए। जिसके बाद वैध ने लक्ष्मण का उपचार किया और वह ठीक हो गए।

सिंदूर की पावन कथा
रामचर‍ितमानस में हनुमान जी के सिन्दूर को लगाने की कथा म‍िलती है। एक दिन जब हनुमान जी भूख लगने की वजह से माता सीता के पास पहुंचे, तो उन्होंने देखा की माता अपनी मांग में कुछ लगा रही थी। बजरंवाली के पूछने पर माता ने बताया कि यह सिन्दूर है और इनको प्रभु श्री राम के दीर्घायु के लिए लगाती है। जिसमे बाद माता हनुमान जी के लिए भोजन लेने चली जाती है।

जिसके बाद हनुमान जी ने सिन्दूर लिया और अपने पूरे शरीर पर लगा लिया। इसके बाद वह राम दरवार में उपस्थित हुए और सबके उनसे सिंदूर लगाने का कारण पूछने पर उन्होंने कहां कि माता के चुटकी भर सिन्दूर लगाने से अगर प्रभु श्री राम दीर्घायु होते है तो मैंने भी मेरे पुरे शरीर पर सिन्दूर लगाने से प्रभु चिरंजीवी हो जायेंगे। तब भगवान् राम हनुमान जी की ऐसी भक्ति देख प्रशन्न हुए और उस दिन से वायुपुत्र को सिन्दूर चढ़ाया जाने लगा। ऐसा करने से श्रीराम की व‍िशेष कृपा प्राप्त होती है। और हर मनोकामना पूर्ण होती है।

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